मेरी मोहब्बत की बाहों में, राहत नहीं मिलती,
जीने की चाह में, मुझे चाहत नहीं मिलती।
मोहब्बत को भूल जाए, तोह मोहब्बत याद आती है,
वो पुरानी बीती यादें, हमें खूब रुलाती है।
याद आते हैं वो गीत, जो कभी गुनगुनाए थे हमारे कानों में,
लगता हैं प्यार कहीं खत्म सा हो गया, आज- कल के इन्सानों में।
एक ही कफ़न में मरने की, हमने कसम खाई थी,
दो दिन बाद मेरी मोहब्बत, किसी और के साथ दिखाई दी।
सोचता था अभी बहुत समय है, रह गया मैं इंतज़ार मैं,
सूरज ने भी भरी दुपहरी, डाल दिया मुझे अंधकार में।
चलो हम तोह अंधेरे में रह लेंगे, बस मेरी मोहब्बत को कोई कमी ना हो,
जो मेरे साथ हुआ, ख़ुदा करे उसके साथ कभी ना हो।
उसके साथ कभी ना हो।
©Aadi
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