ईश्वर है कहाँ ? ढूंढें ये जग सारा , मन्दिर, मस्जिद | हिंदी Poetry Vide

"ईश्वर है कहाँ ? ढूंढें ये जग सारा , मन्दिर, मस्जिद, गिरिजाघर या फिर हो गुरुद्वारा ! नादाँ है ये मन , है इसको ना आभास , मन के भीतर रोम-रोम में , है ईश्वर का वास ! माँ के आँचल में है वो , पिता के साये में है वो , उगते सूरज में है वो , ढलती शाम में है वो , बहती नदिया में है वो , स्थिर भूतल में है वो , जलते दीपक में है वो , घने अंधेरे में है वो , दुःख की धूप में है वो , सुख की छाँव में है वो , खिलती कलियों में है वो , मुरझाए फूलों में है वो ! ईश्वर है व्याप्त हर दिशा में , ईश्वर है व्याप्त हर फिज़ा में , जिस सृष्टि को रचा है उसने , ईश्वर है व्याप्त उस सृष्टि के कण-कण में ! ©Sonal Panwar "

ईश्वर है कहाँ ? ढूंढें ये जग सारा , मन्दिर, मस्जिद, गिरिजाघर या फिर हो गुरुद्वारा ! नादाँ है ये मन , है इसको ना आभास , मन के भीतर रोम-रोम में , है ईश्वर का वास ! माँ के आँचल में है वो , पिता के साये में है वो , उगते सूरज में है वो , ढलती शाम में है वो , बहती नदिया में है वो , स्थिर भूतल में है वो , जलते दीपक में है वो , घने अंधेरे में है वो , दुःख की धूप में है वो , सुख की छाँव में है वो , खिलती कलियों में है वो , मुरझाए फूलों में है वो ! ईश्वर है व्याप्त हर दिशा में , ईश्वर है व्याप्त हर फिज़ा में , जिस सृष्टि को रचा है उसने , ईश्वर है व्याप्त उस सृष्टि के कण-कण में ! ©Sonal Panwar

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