कोरे कागज़ पर
आओ
दिल के जज़्बात लिखते हैं
चलो एक
और बार ख़त लिखते हैं
भूल गए थे जिन राहों को
बन कर हमसफर
आओ उन पर
इक बार फ़िर चलते हैं
बेसब्री से ख़तों का फिर
इंतजार करते हैं
भूल चले थे जिन्हें
उन लम्हों को, सुनो
फिर याद करते हैं
रिस रहे हैं
तेरी जुदाई के ज़ख़्म
उन पर सुकून भरे
लफ्जों के फाहे रखते हैं
©हिमांशु Kulshreshtha
चलो...