ॐ दिवाली ॐ चाइना वालों ने इस दिवाली खूब कमाया बे

"ॐ दिवाली ॐ चाइना वालों ने इस दिवाली खूब कमाया बेचारा कुम्भार मिट्टी का एक दीया न बेच पाया अफ़सोस इस बात का है की खरीददार वही थे, कुछ समय पहले बैन चाइना बैन चाइना जो कह रहे थे दीए की दिवाली बिजली की चकाचौंध में बदल गई पुष्पों की जगह प्लास्टिक के फूलों ने ले ली लोगों को सरसों तेल और पेट्रोल मंहगा लगता है लाईट बेशक हजार की हो ,लेकिन वही सस्ता दिखता है बस दिखावे की रह गई है दिवाली सन् दो हजार में वो नब्बे वाली बात ना आली ना दिखता कहीं बच्चों का घरौंदा , ना बची हुक्का पाती की उल्लास हर कोई बैठा है बस लगाए बोनस (bonus) की आस दिवाली वाले दिन बड़ो के पैर छुने का रिवाज तो कबका खत्म हो चुका है आजकल हर कोई बस दिखावे का भूखा है बेशक ना हो कोई आसपास लेकिन घर दिखना चाहिए झकास, मिट चुका है असत्य पे सत्य का प्रकाश Whatsapp पे मैसेज भेजा जाता है ,अब जल्दी कोई किसी के पास नहीं जाता है ("साहब वक्त हीं कहां है" - हर किसी की जुबां पे यही टकिया कलाम रहता है कोई मिलने आ भी जाए तो बहोत से लोगों के नाक सिकुड़ जाते हैं अब दिवाली वाले दिन मेहमान कहां नजर आते हैं एक वो भी वक्त था जब डिब्बी में तेल डाल बाँसो में कैंडल बांध , नए कपड़े पहन उमंग में दीए जला के दिवाली मनाते थे आशीर्वाद में टॉफी से बच्चों के डब्बे भर जाते थे मस्ती में फूलझारियां खुब जलाते थे अफ़सोस है अब वो वक्त ना आ पाएगा आजकल के पीढ़ी को वो पुराना रिवाज कहां समझ आएगा 🙏 Happy तो बहोत कह लिया इस बार *शुभ दिवाली* 🪔🎆🎇🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷 ©Abhishek jha"

 ॐ दिवाली ॐ 

चाइना वालों ने इस दिवाली खूब कमाया
बेचारा कुम्भार मिट्टी का एक दीया न बेच पाया 
अफ़सोस इस बात का है की
खरीददार वही थे, कुछ समय पहले बैन चाइना बैन चाइना जो कह रहे थे

दीए  की दिवाली बिजली की चकाचौंध में बदल गई
पुष्पों की जगह प्लास्टिक के फूलों ने ले ली 

लोगों को सरसों तेल और पेट्रोल मंहगा लगता है लाईट बेशक हजार की हो
,लेकिन वही सस्ता दिखता है

बस दिखावे की रह गई है दिवाली सन् दो हजार में वो नब्बे वाली बात ना आली

ना दिखता कहीं बच्चों का घरौंदा , ना बची हुक्का पाती की उल्लास
हर कोई बैठा है बस लगाए बोनस (bonus) की आस 

दिवाली वाले दिन बड़ो के पैर छुने का रिवाज तो कबका खत्म हो चुका है 
आजकल हर कोई बस दिखावे का भूखा है 

बेशक ना हो कोई आसपास लेकिन घर दिखना चाहिए झकास, 
मिट चुका है असत्य पे सत्य का प्रकाश

Whatsapp पे मैसेज भेजा जाता है ,अब जल्दी कोई किसी के पास नहीं जाता है 
("साहब वक्त हीं कहां है" - हर किसी की जुबां पे यही टकिया कलाम रहता है

कोई मिलने आ भी जाए तो बहोत से लोगों के नाक सिकुड़ जाते हैं
 अब दिवाली वाले दिन मेहमान कहां नजर आते हैं 

एक वो भी वक्त था जब डिब्बी में तेल डाल 
बाँसो में कैंडल बांध , नए कपड़े पहन उमंग में दीए जला के दिवाली मनाते थे
 
आशीर्वाद में टॉफी से बच्चों के डब्बे भर जाते थे 
मस्ती में फूलझारियां खुब जलाते थे 

अफ़सोस है अब वो वक्त ना आ पाएगा आजकल के  पीढ़ी को वो पुराना रिवाज कहां समझ आएगा 🙏

     Happy  तो बहोत कह लिया इस बार
 *शुभ दिवाली* 🪔🎆🎇🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷

©Abhishek jha

ॐ दिवाली ॐ चाइना वालों ने इस दिवाली खूब कमाया बेचारा कुम्भार मिट्टी का एक दीया न बेच पाया अफ़सोस इस बात का है की खरीददार वही थे, कुछ समय पहले बैन चाइना बैन चाइना जो कह रहे थे दीए की दिवाली बिजली की चकाचौंध में बदल गई पुष्पों की जगह प्लास्टिक के फूलों ने ले ली लोगों को सरसों तेल और पेट्रोल मंहगा लगता है लाईट बेशक हजार की हो ,लेकिन वही सस्ता दिखता है बस दिखावे की रह गई है दिवाली सन् दो हजार में वो नब्बे वाली बात ना आली ना दिखता कहीं बच्चों का घरौंदा , ना बची हुक्का पाती की उल्लास हर कोई बैठा है बस लगाए बोनस (bonus) की आस दिवाली वाले दिन बड़ो के पैर छुने का रिवाज तो कबका खत्म हो चुका है आजकल हर कोई बस दिखावे का भूखा है बेशक ना हो कोई आसपास लेकिन घर दिखना चाहिए झकास, मिट चुका है असत्य पे सत्य का प्रकाश Whatsapp पे मैसेज भेजा जाता है ,अब जल्दी कोई किसी के पास नहीं जाता है ("साहब वक्त हीं कहां है" - हर किसी की जुबां पे यही टकिया कलाम रहता है कोई मिलने आ भी जाए तो बहोत से लोगों के नाक सिकुड़ जाते हैं अब दिवाली वाले दिन मेहमान कहां नजर आते हैं एक वो भी वक्त था जब डिब्बी में तेल डाल बाँसो में कैंडल बांध , नए कपड़े पहन उमंग में दीए जला के दिवाली मनाते थे आशीर्वाद में टॉफी से बच्चों के डब्बे भर जाते थे मस्ती में फूलझारियां खुब जलाते थे अफ़सोस है अब वो वक्त ना आ पाएगा आजकल के पीढ़ी को वो पुराना रिवाज कहां समझ आएगा 🙏 Happy तो बहोत कह लिया इस बार *शुभ दिवाली* 🪔🎆🎇🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷 ©Abhishek jha

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