वो लेकर आए हैं मुठ्ठी में कुछ देने के लिए दिए हैं | हिंदी Shayari

"वो लेकर आए हैं मुठ्ठी में कुछ देने के लिए दिए हैं धागा वो मेरे जख्मों को सीने के लिए उसे मालूम है उसकी बातों को इनकार नहीं करता वो हस कर दे गई ज़हर मुझको पीने के लिए ©Qais Tanvee"

 वो लेकर आए हैं मुठ्ठी में कुछ देने के लिए
दिए हैं धागा वो मेरे जख्मों को सीने के लिए
उसे मालूम है उसकी बातों को इनकार नहीं करता
वो हस कर दे गई ज़हर मुझको पीने के लिए

©Qais Tanvee

वो लेकर आए हैं मुठ्ठी में कुछ देने के लिए दिए हैं धागा वो मेरे जख्मों को सीने के लिए उसे मालूम है उसकी बातों को इनकार नहीं करता वो हस कर दे गई ज़हर मुझको पीने के लिए ©Qais Tanvee

#SAD

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