White उलझे तारों सी है ये ज़िंदगी और कभी सपाट सड़क | हिंदी Poetry Vide

"White उलझे तारों सी है ये ज़िंदगी और कभी सपाट सड़क सी खूब चमक जाती है कभी इतनी ऊंची कि पकड़ में ही ना आए तो कभी रोम–रोम में भीतर तक समा जाती है ज़िंदगी के इस खेल में मैं स्वयं को उलझा हुआ पाता हूं कोशिश तो बहुत करता हूं कि ज़िंदगी से हर बार जीत जाऊं मगर हर बार,,, ज़िंदगी से हार जाता हूं ©परिंदा "

White उलझे तारों सी है ये ज़िंदगी और कभी सपाट सड़क सी खूब चमक जाती है कभी इतनी ऊंची कि पकड़ में ही ना आए तो कभी रोम–रोम में भीतर तक समा जाती है ज़िंदगी के इस खेल में मैं स्वयं को उलझा हुआ पाता हूं कोशिश तो बहुत करता हूं कि ज़िंदगी से हर बार जीत जाऊं मगर हर बार,,, ज़िंदगी से हार जाता हूं ©परिंदा

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