पीते हैं छाछ फूंक के हैं दूध के जले। हैं कम बहुत | हिंदी विचार

"पीते हैं छाछ फूंक के हैं दूध के जले। हैं कम बहुत वो लोग जो इन्सान हैं भले। झूठे जहान में भला कैसे उन्हे ढूंढे, नागों कि तरह जो हैं आस्तीन में पले। ©वंदे मातरम् (आदि महादेव )"

 पीते हैं छाछ फूंक के हैं दूध के जले। 
हैं कम बहुत वो लोग जो इन्सान हैं भले। 
झूठे जहान में भला कैसे उन्हे ढूंढे, 
नागों कि तरह जो हैं आस्तीन में पले।

©वंदे मातरम् (आदि महादेव )

पीते हैं छाछ फूंक के हैं दूध के जले। हैं कम बहुत वो लोग जो इन्सान हैं भले। झूठे जहान में भला कैसे उन्हे ढूंढे, नागों कि तरह जो हैं आस्तीन में पले। ©वंदे मातरम् (आदि महादेव )

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