हम पक्षी है,
उड़ने दो हमें उन्मुक्त गगन में
बांधों न कोई डोर,
पंख फैलाए खुले आसमां में
सीमित है न कोई छोर,
हम मनुष्य नहीं है,
जो सरहद की सीमाओं में
युद्ध के लिए डटे रहे,
धर्म और मज़हब की दीवारों में
राग द्वेष लिए लड़ते रहे,
हे मनुष्य! कुछ हमसे सीखो,
हम पंछी है,
न सरहद, न मज़हब की दीवार,
न धर्म, न युद्ध, न संहार,
करते हैं स्वच्छंद विचरण हम,
अमन चैन की लिए बयार।
©Sonal Panwar
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