वक़्त किसी के लिए नहीं रुकता, मत, काल को फिजूलियत म | हिंदी शायरी

"वक़्त किसी के लिए नहीं रुकता, मत, काल को फिजूलियत मे जाया करो, वरना, ऐसा भी एक काल आ जाएगा | सपने तेरे हकीकत न हो पाएंगे, काल, बनकर काल तुझको खा जाएगा|| {कमाल अहमद-9336804430} ©Kamal Ahmad"

 वक़्त किसी के लिए नहीं रुकता, मत, काल को फिजूलियत मे जाया करो, 
वरना, ऐसा भी एक काल आ जाएगा |
सपने तेरे हकीकत न हो पाएंगे, 
काल, बनकर काल तुझको खा जाएगा||
{कमाल अहमद-9336804430}

©Kamal Ahmad

वक़्त किसी के लिए नहीं रुकता, मत, काल को फिजूलियत मे जाया करो, वरना, ऐसा भी एक काल आ जाएगा | सपने तेरे हकीकत न हो पाएंगे, काल, बनकर काल तुझको खा जाएगा|| {कमाल अहमद-9336804430} ©Kamal Ahmad

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