वो चिड़िया फुदकती है चहक़ती है
सभी वृक्षॉ पर
वो वृक्ष नींम का है या देवदार का
फर्क नहीं करती है
ये फूल अपनी खुशबू क़ो
स्वच्छदता से लुटाता है
क्षेत्र कोलाहल का है या वो इलाका सन्नाटो का.... खुशबू सबको लुटाता है
कभी फर्क नहीं करता है
©Arora PR
फर्क नहीं करता है