लडका-
हाथ बढाया है, थाम लो न
आंसुओं को क्यों रोका है, बहने दो न
प्यार है मुझसे तुम्हे, खुद को खोने दो न
इकरार से डरती हो, इंकार करो न
लडकी-
आंसूओ को बहने से रोका है
तुझसे प्रेम न करके खुद को खोने से रोका है
हाथ थाम नहीं सकती तेरा
झूठे समाज के बंधन ने रोका है
इजहार नहीं किया तुझसे पर तेरे शिवा
किसी और पर पलकें भी नहीं रोका है
©कलम की दुनिया
#प्रेम_संवाद