White पल्लव की डायरी
धुरी हमारी बिपरीत घूम रही है
सत्यता जीवन की धूमिल हो रही है
मिथ्याज्ञान ही उपलब्धि समझ बैठे
शरीर और ज्ञान की ऐसी तैसी हो रही है
परस्पर बने है एक दुसरो के लिये
खींचतान पतन की ओर ही रही है
हवा जल सब जहरीले कर
जाति बिरादरी से संघर्षों अति हो रही है
उम्र सबकी कम हो रही है
बीमारी की चपेट में अंग अंग है
दुर्गति विशेष ज्ञान से हो रही है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#good_night दुर्गति विशेष ज्ञान से हो रही है
#nojotohindi