कभी-कभी बहुत उदास
और खामोश होते हो
तुम मेरे पास हो कर भी
मेरे पास नहीं होते जैसे
मानों भटक रहे हो यादों की पुरानी गलियों में
बरसों पहले जिया कोई लम्हा
जहन में अटक गया हो जैसे
मेरा हाथ थाम कर आगे चलते हुए
पीछे मुड़-मुड़ कर किसी की राह तकते
कोई बहुत अपना पीछे छूट गया हो जैसे।
©Ruchi Rathore
अटका हुआ लम्हा
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