सुबह भी शाम को दर लौट आते हैं। थके हारे सभी घर लौट | हिंदी Shayari

"सुबह भी शाम को दर लौट आते हैं। थके हारे सभी घर लौट आते हैं। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र"

 सुबह भी शाम को दर लौट आते हैं।
थके हारे सभी घर लौट आते हैं।

©सूर्यप्रताप स्वतंत्र

सुबह भी शाम को दर लौट आते हैं। थके हारे सभी घर लौट आते हैं। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र

#ghar
#कविता_संगम

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