तुझे गुरूर था तेरे हुसन पर , तू कैसे किसी एक का ह | हिंदी शायरी

"तुझे गुरूर था तेरे हुसन पर , तू कैसे किसी एक का हो सकता ।। कभी जान था वो शख्स मेरी , अब वो मुझे दोस्त भी नहीं लगता।। -अरमान हंस"

 तुझे गुरूर था तेरे हुसन पर ,
 तू कैसे किसी एक का हो सकता ।।
 कभी जान था वो शख्स मेरी ,
अब वो मुझे दोस्त भी नहीं लगता।।
 
             -अरमान हंस

तुझे गुरूर था तेरे हुसन पर , तू कैसे किसी एक का हो सकता ।। कभी जान था वो शख्स मेरी , अब वो मुझे दोस्त भी नहीं लगता।। -अरमान हंस

#meltingdown

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