इक चुप सी लग गई है लब बोलते नहीं. खमोशियों की सिल | हिंदी शायरी

"इक चुप सी लग गई है लब बोलते नहीं. खमोशियों की सिलवट अब खोलते नहीं हर बात पर यहां तुम इतना गए उलझ क्या है नफा ख़सारा नादान नासमझ जब बोलते हैं फिर तो कुछ तोलते नहीं। ©प्रतिभा त्रिपाठी"

 इक चुप सी लग गई है  लब बोलते नहीं.
खमोशियों की सिलवट अब खोलते नहीं

 हर बात पर यहां तुम इतना गए उलझ
क्या है नफा ख़सारा नादान नासमझ
जब  बोलते हैं फिर तो कुछ तोलते नहीं।

©प्रतिभा त्रिपाठी

इक चुप सी लग गई है लब बोलते नहीं. खमोशियों की सिलवट अब खोलते नहीं हर बात पर यहां तुम इतना गए उलझ क्या है नफा ख़सारा नादान नासमझ जब बोलते हैं फिर तो कुछ तोलते नहीं। ©प्रतिभा त्रिपाठी

#khamoshiyan

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