ये रात का खालीपन और तुम्हारी यादें...
ना ही घटती है,ना ही कम होती।
बस बढ़ती है और बढ़ती ही जाती है।।
इन यादों को है आसरा इस रात के आंचल का..
जिसमें ये सोती है,ख्वाब बुनती है, मचलती है।
और फिर बस आंचल के साए में ही सिमट जाती है।।
©Rimpi chaube
#रात_का_खालीपन
ये रात का खालीपन और तुम्हारी यादें...
ना ही घटती है,ना ही कम होती।
बस बढ़ती है और बढ़ती ही जाती है।।
इन यादों को है आसरा इस रात के आंचल का..
जिसमें ये सोती है,ख्वाब बुनती है, मचलती है।
और फिर बस आंचल के साए में ही सिमट जाती है।।