White आज़ मैं किसी के लिए उपयोगी नहीं हूं। इस लिए अकेला रास्ते पर पड़ा हूं। और कहा की काम का नहीं हूं,,पर भूलना नहीं हे! मानव जब चूर कर मिट्टी में विलीन हों जाऊंगा। तो किसी को उपजाऊ बना जाऊंगा। ठुकराया तुमने हमें पर मिट कर भीं तुझे छांव और भरण पोषण का इंतजाम कर जाऊंगा। माना अभी कीमत नहीं है। मेरे समर्पण भाव को भूल जाओगे। पर कहीं छांव न मिली तो दर दर की ठोकरें खाओगे। फिर शायद मेरी कीमत समझ पाओगे। अब तुम पर है क्या करना है? मैं तो पतझड़ से मिट फिर किसी पेड़ की डाली पर मुस्कराऊंगा।
©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
#sad_shayari