White शीर्षक - एक अधूरी आस
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सच तो हम सभी की अधूरी आस रहती हैं।
हम तुम सब सपने देखने को खुश रहते हैं।
बस न पूरे हमारे सपने बस अधूरी आस रहती हैं।
हम सभी की सोच अपनी आस अधूरी रहती हैं।
हमारे जीवन के सपने बस सोच हमारी होती हैं।
आस अधूरी हमारी ख्वाहिश न पूरी हो पाती हैं।
हम सभी अपने और पराए की सोच रखते हैं।
जिंदगी और जीवन जीने में आस अधूरी रहती हैं।
सच तो हम इंसान सभी कुदरत के नियम जीते हैं।
बस मन भावों में स्वार्थ और मतलब कुछ होते हैं।
वहीं इच्छाओं की सोच हमारी इस अधूरी रहती हैं।
आशाएं और उम्मीद जिंदगी के रंगमंच पर रखते हैं।
हां सच फितरत हम सबकी एक दूसरे की होती हैं।
सच उम्मीद और आशाओं की आस अधूरी रहती हैं
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*नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र*
# *प्रतियोगिता हेतु*
©Neeraj Agarwal
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