Village Life कोयल की कू... गुम हो गया
कौआ का कांव कांव चिल्लाना बंद हो गया
उडते आजाद पक्षियों का चहचहाना बंद हो गया
आवारा कुत्तों का रात में चिल्लाना बंद हो गया
मेरा गाँव अब विकसीत हो गया
गिली-डंडा , पिट्टो ,कंचे खो गये
शोर मचाने पर पडने वाले तमाचे खो गये
ठंडी की धुप में माताओं के हाथ के कंटे खो गये
वो चार सखियों के चुगलियां खो गये
सारे गाँव अब विकास की राहों पर निकल गये
वो भरी जेठ दुपहरी में
आम की चोरी
वो पुष में चन्ने की होरी
वो फागुआ में
बैर पर पडने वाला डंडा
वो चईत बईसाख में
महुआ के वजह से होने वाला फंडा
वो सावन के झूले
जो हम सब गये भुले
वो पेडों की छांव
वो मस्ती से भरा गाँव
वो तीज त्योहार
वो रंगों से भरी होली
सब फिका हो गया
मेरा गाँव अब विकसीत हो गया
अनपढ अब नहीं कोई
विद्वान यहाँ हर कोई
दो पहिया अब थक गया
चार पहिये के खातिर
मेरा निम अब ढह गया
शारीरिक विकास अब बहुत हुआ
मानसिक विकास अब शुरू हुआ
बच्चों की मस्ती से भरी टोली
ग्रुप में देखाती अपनी रंगोली
बिमारी से दूर
स्वास्थ्य से दूर
तुलसी का काढा
अदरक की चाय
न जाने कहाँ गुम हो गया
मेरा गाँव अब विकसीत हो गया
©कलम की दुनिया
#गांव