मंज़िल सामने थी, रास्ता ज़रा मुश्किल था, हार हर कदम | हिंदी मोटिवेशनल Vi

"मंज़िल सामने थी, रास्ता ज़रा मुश्किल था, हार हर कदम पर मेरे साथ थी, मगर मुझे जीत का चस्का था, कभी बेबस भी हुई, तो कभी टूटी भी, कभी खुद से लड़ी, तो कभी रूठी भी, किसी ने कभी साथ न दिया, खुद से सम्भली खुद ही को सहारा दिया भी, मैं हर रोज़ एक ही सपने के साथ सोई ओर उसी के साथ उठी भी, मैं खुद का सूरज बनी तो कभी अंधेरा भी।। ©Kiran Chaudhary "

मंज़िल सामने थी, रास्ता ज़रा मुश्किल था, हार हर कदम पर मेरे साथ थी, मगर मुझे जीत का चस्का था, कभी बेबस भी हुई, तो कभी टूटी भी, कभी खुद से लड़ी, तो कभी रूठी भी, किसी ने कभी साथ न दिया, खुद से सम्भली खुद ही को सहारा दिया भी, मैं हर रोज़ एक ही सपने के साथ सोई ओर उसी के साथ उठी भी, मैं खुद का सूरज बनी तो कभी अंधेरा भी।। ©Kiran Chaudhary

मंज़िल सामने थी।।

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