जब कभी मैं जल्दबाजी में खाने में नमक कम डाल दूं तो | हिंदी कविता

"जब कभी मैं जल्दबाजी में खाने में नमक कम डाल दूं तो तुम उठना मत बस मुझे एक इशारा कर देना या, जब नहीं आ पाओ मुझे लेने ऑफिस तो घबराना मत, मैं खुद आ जाऊंगी तुम तब भी मत आना पार करके समुद्र जब मैं अकेली भरा करुंगी हमारे घर की किश्तें या, जब खुद की ठीक करना पड़े मुझे कमरे का पंखा लेकिन, तुम देना मुझे कंधा जब खुल कर रोना चाहेंगे मेरे नयन थाम लेना मेरी बांह जब भी हारा महसूस करेगी मेरी आत्मा, और चूम लेना मेरा माथा जब तुम्हारे ही अंश को जन्म दूंगी मैं तुम्हारा और मेरा साथ दिन-रात का भले ही ना हो मगर जन्म भर का ज़रूर होना चाहिए । ©Dipti Joshi"

 जब कभी
मैं जल्दबाजी में खाने में नमक कम डाल दूं
तो तुम उठना मत
बस मुझे एक इशारा कर देना
या,
जब नहीं आ पाओ मुझे लेने ऑफिस
तो घबराना मत,
मैं खुद आ जाऊंगी
तुम तब भी मत आना पार करके समुद्र
जब मैं अकेली भरा करुंगी
हमारे घर की किश्तें
या,
जब खुद की ठीक करना पड़े
 मुझे कमरे का पंखा
 लेकिन,
 तुम देना मुझे कंधा
 जब खुल कर रोना चाहेंगे मेरे नयन
 थाम लेना मेरी बांह
 जब भी हारा महसूस करेगी मेरी आत्मा,
 और 
 चूम लेना मेरा माथा
 जब तुम्हारे ही अंश को जन्म दूंगी मैं 
 तुम्हारा और मेरा साथ
 दिन-रात का भले ही ना हो
 मगर जन्म भर का ज़रूर होना चाहिए ।

©Dipti Joshi

जब कभी मैं जल्दबाजी में खाने में नमक कम डाल दूं तो तुम उठना मत बस मुझे एक इशारा कर देना या, जब नहीं आ पाओ मुझे लेने ऑफिस तो घबराना मत, मैं खुद आ जाऊंगी तुम तब भी मत आना पार करके समुद्र जब मैं अकेली भरा करुंगी हमारे घर की किश्तें या, जब खुद की ठीक करना पड़े मुझे कमरे का पंखा लेकिन, तुम देना मुझे कंधा जब खुल कर रोना चाहेंगे मेरे नयन थाम लेना मेरी बांह जब भी हारा महसूस करेगी मेरी आत्मा, और चूम लेना मेरा माथा जब तुम्हारे ही अंश को जन्म दूंगी मैं तुम्हारा और मेरा साथ दिन-रात का भले ही ना हो मगर जन्म भर का ज़रूर होना चाहिए । ©Dipti Joshi

जब कभी
मैं जल्दबाजी में खाने में नमक कम डाल दूं
तो तुम उठना मत
बस मुझे एक इशारा कर देना
या,
जब नहीं आ पाओ मुझे लेने ऑफिस
तो घबराना मत,
मैं खुद आ जाऊंगी

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