बंजर मही पर जैसे ढेर कोई खिर्मन का सजा था । वैसे | हिंदी Love

"बंजर मही पर जैसे ढेर कोई खिर्मन का सजा था । वैसे ही इस भीड़ में वह अजनबी कुछ अपना सा लगा था ।। ©"

 बंजर मही पर जैसे ढेर कोई खिर्मन का
 सजा था ।
वैसे ही इस भीड़ में वह अजनबी कुछ      अपना सा लगा था ।।
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बंजर मही पर जैसे ढेर कोई खिर्मन का सजा था । वैसे ही इस भीड़ में वह अजनबी कुछ अपना सा लगा था ।। ©

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