हिज्र के किस्से,मैं अग़र सुनाऊँगी भला, उनसे रब्त मे
"हिज्र के किस्से,मैं अग़र सुनाऊँगी भला,
उनसे रब्त मेरा यूँ,क्या मैं तोड़ पाऊंगी भला,
मुख़ालिफ़ अपना मुझको ग़र,वो अब मान बैठे हैं,
तो फिर जीत कर उनसे,मैं उनका दिल क्यूँ दुखाऊंगी भला।
@imperfect_kudi(शैली)🖤"
हिज्र के किस्से,मैं अग़र सुनाऊँगी भला,
उनसे रब्त मेरा यूँ,क्या मैं तोड़ पाऊंगी भला,
मुख़ालिफ़ अपना मुझको ग़र,वो अब मान बैठे हैं,
तो फिर जीत कर उनसे,मैं उनका दिल क्यूँ दुखाऊंगी भला।
@imperfect_kudi(शैली)🖤