हाल ही में इलेट्राल बांड मामले में सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि इलेक्ट्राल बांड के जरिये राजनीतिक दलों को प्राप्त चंदे की जानकारी हासिल करने का हक आम जनता को है! इसकी सूचना उपलब्ध नहीं करायी जा रही है जो सूचना अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है! माननीय बतायेंगे कि न्यायपालिका को सूचना अधिकार अधिनियम से बाहर क्यों रखा गया है? क्या आम जनता को न्यायपालिका के कार्यकलाप और कार्यशैली के बारे में जानने का अधिकार नहीं है ?सोचिये मी लार्ड!
©Manojkumar Srivastava
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