White बदलते मौसमों में जिंदगी ऐसे ही चलती है।
गले तक के उफ़ानों की कमी गर्मी में खलती है।।
कभी कश्मीर सी राहें, कभी ये मंदसौर सी,
कहीं पत्थर खिलाती हैं, कहीं बंदूक चलती है।।
लिए पानी का इक लोटा चला कोई तो आएगा,
ज़मीनें बादलों की चौखटों पर राह तकती हैं ।।
फसल का दाम, बोलेगी कैसे मेरी ज़ुबां, सब कुछ,
यहां तक कि मेरी मर्ज़ी भी तय सरकार करती है ।।
©Manpreet Gurjar
#zindgi