फ़ज़ीलत है ये आक़ा की वहां उनकी रसायी है,, फरिश्ते क्
"फ़ज़ीलत है ये आक़ा की वहां उनकी रसायी है,,
फरिश्ते क्या फरिश्तों के जहां साए नही जाते..
मुहम्मद राज़-के-वहदत है कोई रम्ज़ उनका क्या जाने,,
शरीयत में तो बंदा है हक़ीक़त में ख़ुदा जाने.."
फ़ज़ीलत है ये आक़ा की वहां उनकी रसायी है,,
फरिश्ते क्या फरिश्तों के जहां साए नही जाते..
मुहम्मद राज़-के-वहदत है कोई रम्ज़ उनका क्या जाने,,
शरीयत में तो बंदा है हक़ीक़त में ख़ुदा जाने..