ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव!
एक केशर विलेपित कोमल
कमल राजकन्या,
शोभित न्यारी ललित ललाट,
दिव्य छविधारी गौरी प्यारी।
दूजे शोभित हैं भभूत,विषधर
नीलकंठ मुंडमाल से भरा कंठ,
धारण किए चंद्र चमक रहा
मस्तक,
जटाधारी केश,भाल त्रिनेत्र
बर्फाच्छादित निवास क्षेत्र।
पर्वतपुत्री शोभित न्यारी
कनक बसन कंचुकी सजाए,
स्वर्ण आभूषण शोभा भाए,
हृदय में शिव को बसाए,
एक ही हठ वर बने शिवशंकर
जाती कैलाश शिखर
निष्ठावान प्रेम संकल्प लिए
शैल सुता पूजती शिवलिंग,
अन्न जल त्याग प्रेमरस भींग,
वैरागी शिव के हृदय में कर प्रेम
जागृत,
किया शक्ति ने स्वयं को समर्पित।
©||स्वयं लेखन||
ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव!
एक केशर विलेपित कोमल
कमल राजकन्या,
शोभित न्यारी ललित ललाट,
दिव्य छविधारी गौरी प्यारी।