कोई मुझे चाहता
शुबह की चिराग लिए उठता हूँ,
चहचहाते पक्षियों की बात लिए उठता हूँ
पर हूँ गुमसुम सा
क्योंकि
हे आश,
कि काश कोई मुझे चाहता.
चोटियों से आब लिए उठता हूँ,
बिन बादलों की बरसात लिए उठता हूँ,
लेकिन बूदें टपकती हैं आंखों से
क्योंकि
है आश,
की काश कोई मुझे चाहता.
रंगों की कतार लिए उठता हूँ,
अब,
मन में नया विचार लिए उठता हूँ
कि काश ..
और बस इतना है तलाश,
कि काश कोई मुझे चाहता.
©mohit mahto
#कोईमुझेचाहता
A beautiful piece of poetry to my love one.
be blessed
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