जो बिखरा हुआ था उसे समेट रहे है, हम उलझें रिश्तो क | हिंदी विचार Video

"जो बिखरा हुआ था उसे समेट रहे है, हम उलझें रिश्तो को फिर से लपेट रहे है। ©gunjan "

जो बिखरा हुआ था उसे समेट रहे है, हम उलझें रिश्तो को फिर से लपेट रहे है। ©gunjan

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