मेरे घर की तन्हाईयाँ मुझसे अकेले में बतियाती रहती | हिंदी शायरी

"मेरे घर की तन्हाईयाँ मुझसे अकेले में बतियाती रहती हैं ; सुबह हो या दोपहर हो या हो रात वो तो बस एक तुम्हारी ही बात बतियाती रहतीं हैं !"

 मेरे घर की तन्हाईयाँ मुझसे 
अकेले में बतियाती रहती हैं ; 
सुबह हो या दोपहर हो या हो 
रात वो तो बस एक तुम्हारी 
ही बात बतियाती रहतीं हैं !

मेरे घर की तन्हाईयाँ मुझसे अकेले में बतियाती रहती हैं ; सुबह हो या दोपहर हो या हो रात वो तो बस एक तुम्हारी ही बात बतियाती रहतीं हैं !

#मेरे #घर #की #तन्हाईंयां

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