Jai shree ram मोह माया का खेला
कहीं साधु संत
तो कहीं हैवान का डेरा,
शायद वो 14 साल वनवास काफी नहीं थे,
इसलिए यह 1000 सालों का वनवास
फिर से लौट आया ।
राम आए हैं अयोध्या दोबारा
वनवास काट सीता लक्ष्मण संग,
खून पसीना लगन जुनून
लगा कर माटी माथे पर
खड़ा है आज राम मंदिर
गाढ़ कर भगवा ध्वज।
राज गद्दी खाली पड़ी थी
अब सुनहरे चादर मुकुट तिलक से
सजे है हमारे राम अपनी राज्य सम्भालने ।
हम तो तेहरे नास्तिक किस्म के व्यक्ती
हमें कहाँ पता उतना राम सिया के बारे मे,
हम तो केवल एक चलते फिरते लेखिका है
कुछ हिस्सा मेरे आस्तिक टुकड़ों का
पन्ने में उतार देते है ।
अयोध्या आकर जय श्री राम का नारा नहीं लगा सके
लेकिन अपने हाथों लिखा यह कविता
तोफे के रूप मे प्रस्तुत है ।
©Tanuja
#JaiShreeRam