थक गए है उलझनों की लहरों में तैरते - तैरते.. बस अब | हिंदी Shayari

"थक गए है उलझनों की लहरों में तैरते - तैरते.. बस अब सुकून से बहना चाहते हैं..।। खूब कुरेदे है घाव अपनो ने.. अब हर ज़ख्म भरना चाहते हैं..।। खामोश कर दिया है बातूनी दिल को भी.. अब बस चुप से रहना चाहते हैं..।।। ©Pallavi Das"

 थक गए है उलझनों की लहरों में
तैरते - तैरते..
बस अब सुकून से बहना चाहते हैं..।।
खूब कुरेदे है घाव अपनो ने..
अब हर ज़ख्म भरना चाहते हैं..।।
खामोश कर दिया है बातूनी दिल को भी..
अब बस चुप से रहना चाहते हैं..।।।

©Pallavi Das

थक गए है उलझनों की लहरों में तैरते - तैरते.. बस अब सुकून से बहना चाहते हैं..।। खूब कुरेदे है घाव अपनो ने.. अब हर ज़ख्म भरना चाहते हैं..।। खामोश कर दिया है बातूनी दिल को भी.. अब बस चुप से रहना चाहते हैं..।।। ©Pallavi Das

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