करते हैं हम वंदन,
नव दिवस का अभिनंदन,
अब कर्मपथ पर बढ़े कदम,
मंजिल से पहले ना रुके कदम,।
भावना मन की निष्काम हो,
जीवन का सुखद अवसान हो,
मंजिल से न डिगे कदम
चुमलें हम अनंत गगन ।
अब भोर हो या सांझ हो
कर्म का सदा एहसास हो,
मन में न कोई खेद हो,
जीवन का उद्देश्य लक्ष्य भेद हो ।
अब नवल उत्थान हो
पूर्ण सृष्टि का दिया वरदान हो,
अब कहीं रुकें ना कदम,
अब कहीं झुकें ना कदम ।।
©Dayal "दीप, Goswami..
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