असत्य के बादल सत्य को छुपा सकते नही, अंधकार कितना | English Poetry

"असत्य के बादल सत्य को छुपा सकते नही, अंधकार कितना भी हो गेहरा, प्रकाश की एक किरण को भी छुपा सकता नहीं। रात का भी एक सीमित वक्त है, सुबह के सूर्य से वो भी बच सकता नहीं। समय जितना भी हो विपरीत, कालचक्र, कभी एक जगह रुकता नहीं। राम का आगमन अयोध्या में, ऐसी ही सुबह का प्रतीक है। दीपावली का ये पावन पर्व, अंधकार पर प्रकाश की जीत है। आओ ये अज्ञानता का तमस मिटा दे, संसार को सब मिलकर सुंदर बना दे। न बचे कोई द्वेष संबंधो में, अधर्म का अंत हो, सम्मान हो सभी का हृदय में, कुछ ऐसा हमारा वतन हो। प्रकाश पुंज बनो, प्रकाशित हो, प्रकाशित करो। Happy Dipawali 🎊💝🎉 ©Gaurav Satyarthi"

 असत्य के बादल सत्य को छुपा सकते नही,
अंधकार कितना भी हो गेहरा,
प्रकाश की एक किरण को भी छुपा सकता नहीं।
रात का भी एक सीमित वक्त है,
सुबह के सूर्य से वो भी बच सकता नहीं।
समय जितना भी हो विपरीत,
कालचक्र, कभी एक जगह रुकता नहीं।
राम का आगमन अयोध्या में, ऐसी ही सुबह का प्रतीक है।
दीपावली का ये पावन पर्व, अंधकार पर प्रकाश की जीत है।
आओ ये अज्ञानता का तमस मिटा दे,
संसार को सब मिलकर सुंदर बना दे।
न बचे कोई द्वेष संबंधो में, अधर्म का अंत हो,
सम्मान हो सभी का हृदय में, कुछ ऐसा हमारा वतन हो।

प्रकाश पुंज बनो, प्रकाशित हो, प्रकाशित करो।

Happy Dipawali 🎊💝🎉

©Gaurav Satyarthi

असत्य के बादल सत्य को छुपा सकते नही, अंधकार कितना भी हो गेहरा, प्रकाश की एक किरण को भी छुपा सकता नहीं। रात का भी एक सीमित वक्त है, सुबह के सूर्य से वो भी बच सकता नहीं। समय जितना भी हो विपरीत, कालचक्र, कभी एक जगह रुकता नहीं। राम का आगमन अयोध्या में, ऐसी ही सुबह का प्रतीक है। दीपावली का ये पावन पर्व, अंधकार पर प्रकाश की जीत है। आओ ये अज्ञानता का तमस मिटा दे, संसार को सब मिलकर सुंदर बना दे। न बचे कोई द्वेष संबंधो में, अधर्म का अंत हो, सम्मान हो सभी का हृदय में, कुछ ऐसा हमारा वतन हो। प्रकाश पुंज बनो, प्रकाशित हो, प्रकाशित करो। Happy Dipawali 🎊💝🎉 ©Gaurav Satyarthi

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