पल्लव की डायरी
तरक्की के दौर तकनीक ने ले लिये
विलासिता के लिये जोखिम ले लिये
तन मन सब पागलपन बढ़ा रहा है
रोगों और डिप्रेशन में कराहने के बाद भी
बाजार वाद का गुणगान गा रहा है
जहां संवेदना लगाव का पुट ना हो
वहाँ खुद का वर्चस्व पाने के लिये
मानव सब कुछ अपना दाँव पर लगा रहा है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#boatclub तन मन सब पागलपन बढ़ा रहा है
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