White गिरे आँखों से आँसू तो लगे बहने लगी नदियाँ
कि जैसे बिन तुम्हारे कट गयी मेरी पूरी सदियाँ
वो मेरी भूल थी जो तुमको मैंने प्यार था समझा
नहीं तो यूँ गुजर जाती थी एक तूफ़ाँ भरी रतियाँ।
मुझे अब ख़्वाब भी वो लगने लगे है यूँ परायों से
की जैसे तितलियाँ उड़ने लगी है इन सरायों से
तुम्हे मैं दूँ बना एक आदमी वो भी मुन्तशिर सा
मगर ना दूँ तुम्हें वो दिल जो तुम भरते थे किरायों से।
मुझे अब एक नदी सी घाट घाट दरिया में जानी है
पहाड़ों,पेड़ पर जाना खुद ही पंछी सी ठानी है
वो एक पर्वत के पीछे एक बड़ी सी शांत घाटी है
वही जीना वही मरना यही बस जिंदगानी है।।
©Sandeep Sagar
#Road सागर की डायरी से