कान के झुमके थे ही कमाल के साहब और होंठ... खैर छोड | हिंदी शायरी

"कान के झुमके थे ही कमाल के साहब और होंठ... खैर छोड़िए जाने दीजिए.... सुकून🌻 #kUNWARKARNI"

 कान के झुमके थे ही कमाल के साहब
और होंठ...
खैर छोड़िए जाने दीजिए....

सुकून🌻
#kUNWARKARNI

कान के झुमके थे ही कमाल के साहब और होंठ... खैर छोड़िए जाने दीजिए.... सुकून🌻 #kUNWARKARNI

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