पानी पर घर बनाने चला मे यानी खुद ही मरने चला मे.. | हिंदी शायरी

"पानी पर घर बनाने चला मे यानी खुद ही मरने चला मे.. पता होता दुनिया इतनी समझदार है तो फिर उसको क्यूं समझाने चला मे.. इतने नाम इतने काम ओर लोगो से मिला.. तो फिर कहीं का ना रहा मे... जो देखता है बस देखता ही रहता है हाय किस किस को समझाने चला मे... ©vinni.शायर"

 पानी पर घर बनाने चला मे 
यानी खुद ही मरने चला मे..

पता होता दुनिया इतनी समझदार है
तो फिर उसको क्यूं समझाने चला मे..

इतने नाम इतने काम ओर लोगो से मिला..
तो फिर कहीं का ना रहा मे...

जो देखता है बस देखता ही रहता है 
हाय किस किस को समझाने चला मे...

©vinni.शायर

पानी पर घर बनाने चला मे यानी खुद ही मरने चला मे.. पता होता दुनिया इतनी समझदार है तो फिर उसको क्यूं समझाने चला मे.. इतने नाम इतने काम ओर लोगो से मिला.. तो फिर कहीं का ना रहा मे... जो देखता है बस देखता ही रहता है हाय किस किस को समझाने चला मे... ©vinni.शायर

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