बंदरबांट...! धुँआ उठ रहा है उस ठण्डी राख़ से, जिसम | हिंदी कविता Video

बंदरबांट...!
धुँआ उठ रहा है उस ठण्डी राख़ से,
जिसमें जलन का आगरा ठंडा पड़ा है
फैल रहा है वो धुंध की तरह आवोहवा में जहाँ
हर कण का जीवन बसा है।

मेरे घर में आग उन हाथो ने लगाई है,
पेट की आग भूलकर,सब की रोटी जलाई है

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