White जय श्री राम
राम , तुम सदा राम ही रहें ,
अपने नाम को साकार करने ,
न जाने कितने दुःख सहे ;
अगर तुम भी अपनी मर्यादा खोते ,
तो आज धरा पर राम कहा होते ;
पुरुषो में उत्तम तुम ही कहे जाते हो ,
शबरी की अश्रुधार बन बहे जाते हो ,
वो राम और आज के रामों में कितनी भिन्नता है ,
आज के हर रिश्तों में लालच और खिन्नता है ,
प्रेमाकुल सह्रदय उदारता तब ,
गंगधार सी बहती थी ,
अपनी ख़ुशी से आगे बढ़कर ,
अपनों की ख़ुशी रहती थी ,
आज हर और स्वार्थ , छल कपट लोभ है ,
इसलिए देखो हर और कितना छोभ है ;
अब भाई-भाई में वो प्रेम कहा ,
ममता तो है पर वो ममत्व कहा ,
प्रेम में प्रेमत्व कहा , पौरुष में पुरुषत्व कहा .
हे राम , पुन: अवतरित हो जाओ ,
इस जग को रिश्तो की परिभाषा समझाओ !
©Rajesh Raana
#ramnavmi