कितने बेफिक्र थे हम नगाड़ों का शोर भी ना सुनते थे | हिंदी विचार

"कितने बेफिक्र थे हम नगाड़ों का शोर भी ना सुनते थे और अब खामोशियों के सन्नाटों से उठ जाते है मनस्वी ©Savita Jain"

 कितने बेफिक्र थे हम नगाड़ों का शोर भी ना सुनते थे और अब खामोशियों के सन्नाटों से उठ जाते है
मनस्वी

©Savita Jain

कितने बेफिक्र थे हम नगाड़ों का शोर भी ना सुनते थे और अब खामोशियों के सन्नाटों से उठ जाते है मनस्वी ©Savita Jain

#ChaltiHawaa @savita jain#

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