गली से निकलते वक़्त तेरा छत पर आना जरूरी है क्या ह | हिंदी Shayari
"गली से निकलते वक़्त तेरा छत पर आना जरूरी है क्या
हर किसी पे तिरछी नजरें, मेरी बातों पर मुस्कुराना जरूरी है क्या
कैदखाने कई हैं तेरे शहर में
मग़र मुझे अपने दिल में यूँ बेवजह कैद करना जरूरी है क्या"
गली से निकलते वक़्त तेरा छत पर आना जरूरी है क्या
हर किसी पे तिरछी नजरें, मेरी बातों पर मुस्कुराना जरूरी है क्या
कैदखाने कई हैं तेरे शहर में
मग़र मुझे अपने दिल में यूँ बेवजह कैद करना जरूरी है क्या