White यूं ही नहीं मैं मानव कहलाता हूं,
परेशानियों से नहीं घबराता हूं।
आसमान का सीना चीरकर बाहर आता हूं,
किया वादा स्वयं का निभाता हूं,
दिन हो या रात हो
अपना कर्म करता जाता हूं।
चाहे घोर अंधेरा हो
चाहे तूफानों ने घेरा हो
आगे बढ़ता जाता हूं,
चाहे दुर्गम रास्ता हो
चाहे पड़ता रोज उनसे वास्ता हो
अपना सही किरदार निभाता हूं।
चाहे सूरज की तपिश हो
या घनघोर घटाएं हो
लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाता हूं,
चाहे पग पग पर कांटे हो
या चाहे पैरों में पड़ गए छाले हो
अपना हौसला सदा दिखाता हूं।
यूं ही नहीं मैं मानव कहलाता हूं,
यूं ही नहीं मैं मानव कहलाता हूं।।
©Shishpal Chauhan
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