ले चलती मुझे उस गली क्या ऐसी भी कोई हवा है... घुलत | मराठी विचार

"ले चलती मुझे उस गली क्या ऐसी भी कोई हवा है... घुलती जा रही हूं दिन ब दिन उस रंग में..... मिल जाऊं अब मैं उस रंग से क्या ऐसी भी कोई दवा है। ©Ruskin nikunj"

 ले चलती मुझे उस गली क्या ऐसी भी कोई हवा है...
घुलती जा रही हूं दिन ब दिन उस रंग में.....
मिल जाऊं अब मैं उस रंग से क्या ऐसी भी कोई दवा है।

©Ruskin nikunj

ले चलती मुझे उस गली क्या ऐसी भी कोई हवा है... घुलती जा रही हूं दिन ब दिन उस रंग में..... मिल जाऊं अब मैं उस रंग से क्या ऐसी भी कोई दवा है। ©Ruskin nikunj

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