निकले है अपने ख्वाब सजाने  अपनी ही मन पसंद चीजो क | हिंदी कविता V

"निकले है अपने ख्वाब सजाने  अपनी ही मन पसंद चीजो को छोड़  कुछ अपने पसंद का कर दिखाने  बाधाओ का क्या, आयंगी वो तो हमे सताने बस तुम हिम्मत का कीनोर  थामे रहना , वो अपना कर्तव्य निभाने  ओर तुम अपना धर्म निभाने को सज रहना। डोर छूटने लगेगी कभी कभी तुम्हे लोग डराएंगे तुम बस मुस्कुराहट दिखा देना  वो तुमहारी तुम पर जीत देखकर  डर कर भाग जायेगे तुम बस अपना साथ निभाना बाकी सब होता चला जायेगा। इस संघर्ष की राह पर  सहारा लेना मत बस अपने काबिलियत को ही अपना दोस्त समझ  बढ़ते जाना। ©Jaya acharya "

निकले है अपने ख्वाब सजाने  अपनी ही मन पसंद चीजो को छोड़  कुछ अपने पसंद का कर दिखाने  बाधाओ का क्या, आयंगी वो तो हमे सताने बस तुम हिम्मत का कीनोर  थामे रहना , वो अपना कर्तव्य निभाने  ओर तुम अपना धर्म निभाने को सज रहना। डोर छूटने लगेगी कभी कभी तुम्हे लोग डराएंगे तुम बस मुस्कुराहट दिखा देना  वो तुमहारी तुम पर जीत देखकर  डर कर भाग जायेगे तुम बस अपना साथ निभाना बाकी सब होता चला जायेगा। इस संघर्ष की राह पर  सहारा लेना मत बस अपने काबिलियत को ही अपना दोस्त समझ  बढ़ते जाना। ©Jaya acharya

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