देखो, तो ज़िंदगी ने.. जीने में क्या क्या रखा है, | English Video

"देखो, तो ज़िंदगी ने.. जीने में क्या क्या रखा है, दो आँखें झुक गई हैं, पानी उनमें अभी बचा रखा है। रास्ते पर पड़ा पत्थर उठा लिया करो, जाने कितनो के लिए रब ने इक रास्ता रखा है। ’मदीहा’ कोई दर्द जो घर करने आए तुम में, उसे ख़ुद में सबसे छिपा कर रख लेना, ना जाने कितनो ने कब तलक उसे ’बरहना’ रखा है। सुनो, आज़माइशें तुम नहीं रखना, किसी को गर अपना मानो.. जो किसी ने लफ्ज़ों में भी रख दिया मान.. समझना की उसने हर वादा फिर निभा रखा है। अबोध_मन//”फरीदा" ©अवरुद्ध मन"

देखो, तो ज़िंदगी ने.. जीने में क्या क्या रखा है, दो आँखें झुक गई हैं, पानी उनमें अभी बचा रखा है। रास्ते पर पड़ा पत्थर उठा लिया करो, जाने कितनो के लिए रब ने इक रास्ता रखा है। ’मदीहा’ कोई दर्द जो घर करने आए तुम में, उसे ख़ुद में सबसे छिपा कर रख लेना, ना जाने कितनो ने कब तलक उसे ’बरहना’ रखा है। सुनो, आज़माइशें तुम नहीं रखना, किसी को गर अपना मानो.. जो किसी ने लफ्ज़ों में भी रख दिया मान.. समझना की उसने हर वादा फिर निभा रखा है। अबोध_मन//”फरीदा" ©अवरुद्ध मन

देखो,
तो ज़िंदगी ने..
जीने में क्या क्या रखा है,
दो आँखें झुक गई हैं,
पानी उनमें
अभी बचा रखा है।
रास्ते पर पड़ा पत्थर
उठा लिया करो,

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