दुबली पतली काया में, इक युग धरती पर आया था अपनी दृ | हिंदी कविता

"दुबली पतली काया में, इक युग धरती पर आया था अपनी दृढ़ शक्ति से जिसने, शाही तख्त हिलाया था अस्त्र कोई न शस्त्र कोई, न वार न कोई प्रहार किया सत्य अहिंसा के बलबूते,भारत आजाद कराया था ©pratibha"

 दुबली पतली काया में, इक युग धरती पर आया था
अपनी दृढ़ शक्ति से जिसने, शाही तख्त हिलाया था
अस्त्र कोई न शस्त्र कोई, न वार न कोई प्रहार किया
सत्य अहिंसा के बलबूते,भारत आजाद कराया था

©pratibha

दुबली पतली काया में, इक युग धरती पर आया था अपनी दृढ़ शक्ति से जिसने, शाही तख्त हिलाया था अस्त्र कोई न शस्त्र कोई, न वार न कोई प्रहार किया सत्य अहिंसा के बलबूते,भारत आजाद कराया था ©pratibha

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