चांदनी, आंखों में थी तेरी,
कहां मैं, उसे चांद में ढूंढता रहा!!
महक, बालों में थी तेरी
कहां मैं, उसे फूलों में ढूंढता रहा!!
सुकून, बाहों में थी तेरी,
कहां मैं, उसे जगहों में ढूंढता रहा!!
खुशी, हंसी में थी तेरी,
कहां मैं, उसे चीजों में ढूंढता रहा!!
जिंदगी, तुझ में थी मेरी,
कहां मैं, उसे रस्तों में ढूंढता रहा!!
तू, मुझमें थी मेरी,
कहां मैं, उसे तुझ में ढूंढता रहा!!
©Dr. Giridhar Kumar
चांदनी ❤️
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