तू कर हौसला बुलंद
अपने अंदर झांक जरा
मत सोच क्या कहेंगा जहां
मत देख गिराने वाली नजरों को
चाह को अपनी मिटने ना दें
फैलाकर पंख अपने भर उड़ान हौसलों से
आसमां भी इंतजार में है
बाहें फैलाए राह तकता
पंख फैलाए उड़ने वालों के
अपने वजूद को पूरा करता आसमां भी
सपने पूरे उन्हीं के होते
जो वक्त को खींच लाता है
जो हौसलों के पंख से
बेखौफ उड़ान भरता है।
©Jashoda
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